उम्र बिना रुके सफ़र कर रही है, और हम ख्वाहिशें लेकर वहीं खड़े हैं
उम्र बिना रुके सफ़र कर रही है, और हम ख्वाहिशें लेकर वहीं खड़े हैं ज़िंदगी एक सफ़र है, जो कभी नहीं रुकता। वक्त की रफ्तार थमती नहीं, चाहे हम थक जाएँ, रुक जाएँ या किसी मोड़ पर ठहर जाएँ — उम्र बिना रुके चलती रहती है। और अक्सर हम क्या करते हैं? ख्वाहिशों का एक पिटारा ले कर वहीं खड़े रह जाते हैं , जहाँ से कभी सपनों की शुरुआत की थी। ख्वाहिशें — हमारे सपनों का आईना हर किसी के मन में कुछ ख्वाहिशें होती हैं — कोई दुनिया घूमना चाहता है, कोई अपना घर बनाना चाहता है, कोई किताब लिखना, संगीत सीखना या बस सुकून की ज़िंदगी जीना चाहता है। पर इन ख्वाहिशों को अक्सर हम "फुर्सत", "सही समय", "अच्छे मौके" के इंतज़ार में टालते जाते हैं। हम सोचते रहते हैं, पर करते कुछ नहीं। दूसरी ओर... उम्र? उम्र को ना आज की फिक्र है, ना कल की। वो तो बस बहती जाती है। हर पल, हर दिन, हर साल हमारे हाथ से रेत की तरह फिसलते जाते हैं, और हम यह सोचकर बैठे रहते हैं — "अभी तो समय है।" पर क्या सच में समय है? समय नहीं, निर्णय की ज़रूरत है जो ख्वाहिशें दिल में हैं, उन्हें पूरा करने के...